भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक (Corruption Perception Index-CPI) के आधार पर विभिन्न राष्ट्रों में भ्रष्टाचार की स्थिति का आकलन करने वाली जर्मन संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की वर्ष 2021 की रिपोर्ट जनवरी 2022 में जारी हुई।
• 180 देशों की सूची में भारत को 40 अंक के साथ 85वां स्थान मिला है। वर्ष 2020 में भारत का 86वां स्थान था। इससे पूर्व वर्ष 2019 में भारत इस सूचकांक में 80वें स्थान पर था।
• भूटान को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देशों को निचली रैंकिंग मिली है। पाकिस्तान सूचकांक में 16 स्थान गिरकर 140वें स्थान पर पहुंच गया है।
• वर्ष 2021 की इस रिपोर्ट में सर्वोच्च स्थान 88 अंकों के साथ डेनमार्क, न्यूजीलैण्ड व फिनलैण्ड का संयुक्त रूप से है। वहां भ्रष्टाचार का स्तर सबसे कम माना गया है।
• सूची में निम्न स्थान पर सोमालिया, सीरिया व दक्षिणी सूडान रहे हैं। इन देशों को रिपोर्ट में सबसे अधिक भ्रष्टाचार वाला देश बताया गया है।
• 0-100 मान वाले करप्शन परसेप्शन इण्डेक्स (CPI) में उच्चतम मूल्य 100 जहां पूर्णतः स्वस्थ (भ्रष्टाचार रहित) स्थिति को व्यक्त करता है। वहीं 0 पूर्णतः भ्रष्ट स्थिति का सूचक है। इसका तात्पर्य है अधिक अंक होना कम भ्रष्टाचार का सूचक है, जबकि कम अंक होना अधिक भ्रष्टाचार
का सूचक है, इसी के चलते ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में सर्वाधिक अंक वाले (सबसे कम भ्रष्टाचार) देश का नाम सबसे ऊपर तथा सबसे कम अंक वाले (सबसे अधिक भ्रष्टाचार वाले) देश का नाम सबसे नीचे होता है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल : एक दृष्टि में
• ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ एक अन्तर्राष्ट्रीय गैर- सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1993 में बर्लिन (जर्मनी) में की गई थी।
• इसका प्राथमिक उद्देश्य नागरिक उपायों के माध्यम से वैश्विक भ्रष्टाचार का मुकाबला करना और भ्रष्टाचार के कारण उत्पन्न होने वाली आपराधिक गतिविधियों को रोकने हेतु कार्यवाही करना है।
• इसके प्रकाशनों में वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर और भ्रष्टाचार बोध सूचकांक शामिल हैं।