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केन्द्र सरकार ने 17 फरवरी, 2022 को ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके हरित हाइड्रोजन के उत्पादन हेतु राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति को अधिसूचित किया।
• इस नीति से कार्बन मुक्त हरित हाइड्रोजन की उत्पादन लागत को कम करने में सहायता मिलेगी।
• राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति के अन्तर्गत कम्पनियों को स्वयं या अन्य इकाई के माध्यम से सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से बिजली उत्पन्ना करने को लेकर क्षमता स्थापित करने की स्वतंत्रता होगी।
• वर्ष 2021 में प्रारम्भ किए गए ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ का उद्देश्य जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और भारत को हाइड्रोजन हब बनाने में सरकार की सहायता करना है।
• वर्ष 2020 में भारत में 7 टन से अधिक हाइड्रोजन का उपयोग किया गया था।
• वर्ष 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य है।
• गत् वर्ष नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NTPC) ने आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम के समीप सिम्हाद्री में देश की पहली ग्रीन हाइड्रोजन माइक्रोग्रिड परियोजना की शुरुआत की थी। यह बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन ऊर्जा भण्डारण परियोजनाओं का अग्रदूत होगा। यह वर्ष 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के भारत के दृष्टिकोण के अनुसार है।
क्या होता है हरित हाइड्रोजन ?
हरित हाइड्रोजन, हाइड्रोजन गैस को दिया गया नाम है जिसे अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके उत्पादित किया गया है, जैसे पवन या सौर ऊर्जा।
• यह ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन नहीं करती हैं। हरित हाइड्रोजन को जब जलाया जाता है तो यह कार्बन डाईऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करता है। इस कारण से इसे ‘भविष्य का ईंधन’ नाम दिया गया है। यह कार्बन तटस्थ अर्थव्यवस्था के परिवर्तन में सहायता कर सकता है।
उत्पादन प्रक्रिया
ब्रह्मांड में हाइड्रोजन सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला रासायनिक तत्व है। यह प्राड्डतिक रूप से प्रयोग करने योग्य मात्रा में गैस के रूप में उपस्थित नहीं है। यह लगभग पूरी तरह से यौगिकों में होता है। इसलिए हाइड्रोजन का उत्पादन औद्योगिक विधियों से किया जाना चाहिए।
• हरित हाइड्रोजन को पवन और सौर जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग करके जल को हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में विभाजित करके उत्पादित किया जाता है।
• जल को मूल घटकों (हाइड्रोजन-ऑक्सीजन) में विभाजित करने के लिए विद्युत प्रवाह का उपयोग किया जाता है।